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Thursday, May 20, 2010

तूं के जाणॆ गूंगिया

                      तूं के जाणॆ गूंगिया
शूरां रे तकमा लागे,कायर काढे गाळ.ईं गाळ्यां रो राज,तू के जाणे गूंगिया.
भरी पडी रह माल सूं,सेठां री कोठ्यार.मरतो मरे गिंवार,तूं के जाणॆ गूंगिया
कुलटा,कायर,कुलछ्णी,पर घर दीखे चान्द सी,घर नारी सूं राड,तूं के जाणे गूंगिया.
भूखे ने धक्का घणा,घर में बामण जीमरया,जुग रो धरमाचार,तू के जाणे गूंगिया .
सूरत सूं बै सूगला,पण दास्यां पंखा झळे,लिछमीजी रो राज,तू के जाणे गूंगिया.
पढ्या-लिख्या पाणी भरॆ,अणपढ खावे माल,नेतावां री चाल,तू के जाणे गूंगिया.
निर्दोसी फ़ांस्यां चढ्ये,खून्यां री जॆकार,फ़ैल्यो भ्रस्टाचार,तू के जाणे गूंगिया
भोळो-डाळो आदमी,चढ्यो टंगारे चान्द पर,धरती हाल बेहाल ,तू के जाणे गूंगिया.
घर रे गमला मांय सज्या,अब कांटीला थो’र,तुळछां रो नीं गोर,तू के जाणे गूंगिया.
पाळे घर-घर गंडकडा,मुरगो देवे बांग,गऊ माता रे डांग,तू के जाणे गूंगिया.

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